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श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.
थोड़ा जल स्वयं पी लें और मिश्री प्रसाद के रूप में बांट दें।
अर्थ- आपकी जटाओं से ही गंगा बहती है, आपके गले में मुंडमाल है। बाघ की खाल के वस्त्र भी आपके तन पर जंच रहे हैं। आपकी छवि को देखकर नाग भी आकर्षित होते हैं।
भक्त अपने जीवन में पैदा हुई कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने के लिए श्री शिव चालीसा का नियमित पाठ करते हैं। श्री शिव चालीसा के पाठ से आप अपने दुखों को दूर कर भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त कर सकते हैं। शिव चालीसा का पाठ हमेशा सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद करना चाहिए। भक्त प्रायः सोमवार, शिवरात्रि, प्रदोष व्रत, त्रयोदशी व्रत एवं सावन के पवित्र महीने के दौरान शिव चालीस का पाठ खूब करते हैं।
नमो नमो read more जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारम् ।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन।।
अर्थ- हे स्वामी, इस विनाशकारी स्थिति से मुझे उभार लो यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय आपकी शरण में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों से उभारों। अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश कर दो। हे भोलेनाथ, आकर मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।